यमुना विहार का सी-12 और इससे लगता विजय पार्क के एक हिस्से में दोनों धर्म को मानने वाले लोग रहते हैं। यहां लोग आपस में सौहर्दपूर्ण वातावरण में रहते हैं। यहां की खासियत यह है कि क्षेत्र में मंदिर और मस्जिद में करीब 100 मीटर का अंतर है और शाम को मस्जिद से अजान और मंदिर से शंख की आवाज एक ही समय पर आने पर आजतक किसी को ऐतराज नहीं हुआ।
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उत्तर पूर्वी दिल्ली के जाफराबाद में संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ और मौजपुर में इस कानून के समर्थन में लोग सड़कों पर बैठ गए थे। इसके बाद रविवार को दोनों गुटों के बीच हिंसा हुई थी, जिसने सोमवार को सांप्रदायिक हिंसा का रूप ले लिया था और हिंसा की चपेट में लगभग पूरा जिला आ गया था। इसके बाद सोमवार-मंगलवार रात को काफी हिंसा हुई।
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विजय पार्क की गली नंबर-17 में रहने वाले राकेश जैन ने बताया कि हम यहां हमेशा से साथ रहते आए हैं। मोहल्ला तो हमारा परिवार है। मुस्लिम समुदाय के लोग हमारे भाई हैं। हमें उनकी आधी रात को भी जरूरत पड़ती है तो वे हाजिर रहते हैं और इसी तरह से उन्हें कभी हमारी जरूरत पड़ती है तो हम उनकेलिए हमेशा उपलब्ध रहते हैं।
उन्होंने कहा कि हम यहां प्यार-मुहब्बत से रहते हैं और आगे भी रहेंगे। दंगाई इलाके के रहने वाले नहीं हैं, वे बाहर से आ रहे और हम सब मिलकर उन्हें कॉलोनी में घुसने नहीं दे रहे हैं।
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इसी इलाके में रहने वाले सुहैल मंसूरी ने कहा कि वह 20 साल से यहां रह रहे हैं। यहां आजतक सांप्रदायिक हिंसा नहीं हुई थी। यह पहली बार है, जब इस तरह से हिंसा हो रही और हम लोग साथ मिलकर दंगाइयों को खदेड़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमारे क्षेत्र की न किसी मस्जिद को आंच आई है और न ही किसी मंदिर को। दोनों धर्मों के धार्मिक स्थल बिल्कुल सुरक्षित हैं।
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मंसूरी ने कहा, मेरे मुस्लिम से ज्यादा हिंदू दोस्त हैं। हम सब साथ रहते हैं। नेता सियासत की वजह से हिंसा करा रहे हैं और समुदायों के बीच खाई पैदा कर रहे हैं।
यमुना विहार सी-12 में रहने वाले राहुल ने कहा कि यहां सांप्रदायिक हिंसा 35 साल में पहली बार हो हुई है। अब भी बाहर से दंगाई आए हैं और कॉलोनी के लोग मिलकर उन्हें भगा रहे हैं। दंगाई सी-12 की मार्केट तक में घुस आए तो हम लोगों ने उन्हें मिलकर खदेड़ दिया।