नई दिल्ली,कोरोना वायरस से मरने वाल रोगियों के शवों के अंतिम संस्कार को लेकर मुंबई में बीएमसी (बृहन्मुंबई नगर निगम) ने सोमवार को एक सर्कुलर जारी कर कहा था रोगियों शवों को धर्म की परवाह किए बिना अंतिम संस्कार किया जाना चाहिए. कोरोना से मरने वालों दफनाने की अनुमति नहीं होगी बल्कि उन्हें जलाया जाएगा. शव को दफनाने से दूसरे में संक्रमण की संभावना होती है और जलाना ही संक्रमण को रोकने के लिए ज्यादा बेहतर तरीका है.
हालांकि, बीएमसी ने महाराष्ट्र सरकार की ओर से दबाव पड़ने के बाद इस आदेश को एक ही घंटे में वापस ले लिया है. इसके बावजूद देश के तमाम मुस्लिमों के बीच बेचैनी बढ़ गई है और चिंतित नजर आ रहे हैं. मुस्लिम उलेमाओं ने कहा कि इस्लाम में शव को जलाने की इजाजत नहीं है. ऐसे में सरकार को दूसरे विकल्पों के बारे में सोचना चाहिए और उसी लिहाज से गाइड लाइन जारी की जानी चाहिए.
लखनऊ की ऐशबाग ईदगाह के इमाम मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने कहा कि इस्लाम धर्म के अनुसार शव को जलाने की अनुमति ही नहीं है. कोरोना वायरस के चलते अगर किसी मुस्लिम की मौत होती है तो उसके लिए हम लोगों ने एहतियात के तौर पर गाइड लाइन जारी कर रखी है. इसके तहत यह है कि शव को समान्य तौर पर जिस तरह से नहलाया जाता है वैसा कोरोना से मरने वालों को नहीं नहलाया जाएगा. मरने वाले के शव को पॉलिथीन में पैक करके ऊपर से पानी बहा दिया जाएगा और उस पर नमाज पढ़कर दफना दिया जाएगा.
उन्होंने कहा कि अमेरिका, चीन, इटली जैसे दुनिया के तमाम देशों में कोरोना से जो भी मर रहे हैं. वहां पर शव को जलाया नहीं जा रहा है बल्कि इन सभी जगहों पर दफनाया जा रहा है. ऐसे में किसी तरह की विवादित बातें करके विवाद को खड़े करने के बजाय शव के अंतिम संस्कार के लिए दूसरे देशों के उदाहरण को लिया जाना चाहिए.
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य कमाल फारूकी ने कहा कि भारत ही नहीं बल्कि दुनियाभर में यह महामारी फैली है, जिसे लेकर सभी चिंतित हैं और सब मिलकर इससे लड़ रहे हैं. ऐसे में सरकारों को सभी की धार्मिक भावनाओं का ख्याल रखना चाहिए. इस्लाम में शव को जलाने की किसी तरह की कोई अनुमति नहीं है, इसीलिए हमारे लिए यह स्वीकार करना मुमकिन नहीं है. ऐसे में कोरोना को रोकने के लिए दूसरे विकल्प बताए जा सकते हैं, जिसके तहत आप बता दें कि कब्र को इतनी गहरा खोदा और दफनाने में यह सावधानी बरतें, उसे हम स्वीकार करेंगे.
उन्होंने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) ने जो गाइड लाइन जारी की है, उसके तहत एहतियात बरतने की बात कही गई है और साथ ही कहा है कि शव को जलाया और दफनाया दोनों जा सकता है. ऐसे में अब सरकारें जिस तरह से बात कर रही हैं, उससे मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड इसे लेकर चिंतित है. इस दिशा में हमारे यहां आज चर्चा भी की जाएगी और हम देश के तमाम सरकारों को पत्र लिखकर अपील करेंगे कि शव के अंतिम संस्कार की दिशा में हमारी धार्मिक भावनाओं का ख्याल रखा जाए, क्योंकि हमारे शव यहां को जलाने की कोई इजाजत नहीं है.
जमात-ए-उलमा-ए-हिंद से जुड़े मुफ्ती अब्दुल राजिक कहते हैं कि दुनिया के तमाम देशों में कोरोना वायरस से मरने वाले लोगों को दफनाया जा रहा है. हालांकि, उसके लिए कब्र को गहरी कर उसे पूरी तरह सेनेटाइज किया जा रहा है. इसके बाद उन्हें दफनाया जा रहा है. इस्लाम ही नहीं बल्कि दुनिया के तमाम धर्म में दफनाने की प्रक्रिया है. कोरोना सुरक्षा के लिहाज से हम पूरी तरह से सावधान हैं और सरकार के साथ इस लड़ाई में खड़े हैं. ऐसे में हमारी धार्मिक भावनाओं का भी सरकार ख्याल रखे.
कोरोना से मरने वालों के लिए डब्लूएचओ की गाइडलाइन
वहीं, विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) की 'संक्रमण रोकथाम, महामारी नियंत्रण और स्वास्थ्य देखभाल में महामारी की गाइडलाइंस में शव को दफनाने और जलाने दोनों विकल्प दिए हैं. आइसोलेशन रूम या किसी क्षेत्र से इधर-उधर ले जाने के दौरान शव के फ्लूइड्स के सीधे संपर्क में आने से बचने और निजी सुरक्षा उपकरणों का समुचित इस्तेमाल करने का सुझाव दिया है. मुर्दाघर में शव की देखभाल और पोस्टमॉर्टम जांच के लिए डब्लूएचओ ने तीव्र श्वसन संक्रमण से मरने वाले व्यक्ति के शव को मुर्दाघर, श्मशान या कब्रिस्तान ले जाने से पहले अभेद्य बॉडी बैग में पूरी तरह सील करने की सिफारिश की है ताकि शव के फ्लूइड्स की लीकेज से बचा जा सके.
डब्लूएचओ शव को संभालने वालों के लिए नष्ट किए जा सकने वाले लंबे आस्तीन के कफ वाले गाउन जैसे निजी सुरक्षा उपकरणों के इस्तेमाल की सलाह देता है. अगर शव के बाहरी हिस्से पर बॉडी फ्लूइड्स, मल या कोई स्त्राव दिखाई दे रहा हो तो ऐसी स्थिति में गाउन वाटरप्रूफ होना चाहिए. विश्व स्वास्थ्य संगठन कहता है कि मुर्दाघर कर्मियों और अंतिम संस्कार करने वालों को हाथों को समुचित रूप से साफ रखने जैसी मानक एहतियात बरतनी चाहिए और उचित निजी सुरक्षा उपकरणों का इस्तेमाल करना चाहिए. ऐसे में अगर शव से फ्लूइड्स या स्त्राव के छीटें आने की संभावना हो तो चेहरे की सुरक्षा करने वाले उपकरणों का इस्तेमाल भी करना चाहिए.