बारिश से बचाने वाले रेन कोट को डॉक्टरों ने इन दिनों CoronaVirus से लड़ने का हथियार बना लिया है। एप्रॉन के साथ रेन कोट पहनकर वह किसी तरह इसके सहारे बचाव कर रहे हैं, ताकि CoronaVirus का संक्रमण उनके कपड़ों से होकर उन तक नही पहुंचे। रेन कोट बतौर पीपीई उनका अभी सबसे बड़ा सहारा बना हुआ है।
हजारीबाग के ग्रामीण क्षेत्र में चूरचू, आंगो, टाटीझरिया समेत अन्य स्थान पर तैनात डॉक्टर रेन कोट का सहारा ले रहे हैं, ताकि किसी भी परिस्थिति में यहां आने वाले लोगों की स्क्रीनिंग नहीं रुके। इन अस्पतालों में दूसरे राज्यों में काम करने वाले मजदूर बड़ी संख्या में पहुंच रहे हैं। इनमें से अधिकतर भारत के सर्वाधिक CoronaVirus संक्रमित राज्यों मसलन महाराष्ट्र, केरल, गुजरात, पंजाब जैसे राज्यों से यहां पहुंचे हैं।
कैसे आया रेन कोट पहनने का विचार
हजारीबाग के उपायुक्त डॉ. भुवनेश प्रताप सिंह ने पीपीई की कमी को देखते हुए अस्थायी तौर पर डॉक्टरों को यह सुझाव दिया कि जब तक पीपीई की पर्याप्त व्यवस्था नहीं हो जाती तब तक वे इस तरह रेनकोट पहनें, ताकि बचाव हो सके। उपायुक्त खुद भी एक डॉक्टर हैं। ऐसे में CoronaVirus से लड़ाई में उन्हें इस वजह से काफी मदद मिल रही है। वैसे हजारीबाग मेडिकल अस्पताल में आइसोलेशन वार्ड में तैनात 11 चिकित्सकों और मेडिकल कर्मियों के लिए फिलहाल पीपीई की व्यवस्था की गई है। उपायुक्त 1000 से अधिक पीपीई जिले को उपलबध करवाने के इंतजाम में लगे हैं।