मोदी मंत्रिमंडल में सिर्फ भाजपा के प्रतिनिधि, पासवान के निधन से खत्म हुई सहयोगी दलों की नुमाइंदगी




नयी दिल्ली. शिरोमणि अकाली दल (शिअद) की वरिष्ठ नेता हरसिमरत कौर बादल के इस्तीफे और केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान के निधन के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाले केंद्रीय मंत्रिमंडल में मात्र भाजपा का प्रतिनिधित्व रह गया है. हालांकि केन्द्रीय मंत्रिपरिषद में भाजपा के अलावा राजग के अन्य घटक दल में से सिर्फ एक आरपीआई का प्रतिनिधित्व है.


मंत्री परिषद में सहयोगी दलों के एकमात्र नेता के रूप में रिपब्लिकन पार्टी आॅफ इंडिया (आरपीआई) के रामदास अठावले हैं. वह सामाजिक न्याय व अधिकारिता राज्यमंत्री हैं. लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) नेता पासवान के निधन से कुछ दिनों पहले ही कौर बादल ने केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया था. कृषि सुधार कानूनों के विरोध में शिअद राजग से अलग हो गया था.


भाजपा का एक अन्य प्रमुख सहयोगी दल शिव सेना भी महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के बाद मुख्यमंत्री पद को लेकर उभरे विवाद के मद्देनजर राजग से अलग हो चुका है. इस अलगाव के बाद शिव सेना कोटे से केंद्रीय मंत्री रहे अरंिवद सावंत ने इस्तीफा दे दिया था. पिछले महीने कनार्टक से भाजपा के वरिष्ठ नेता और रेल राज्यमंत्री सुरेश अंगड़ी का भी निधन हो गया था.


अब दो मंत्रियों के निधन और दो सहयोगी दलों के राजग से अलग होने के बाद इस्तीफे से केंद्रीय मंत्रिमंडल के सदस्यों की संख्या 21 हो गई है. सभी भाजपा के हैं. मंत्रिपरिषद में नौ सदस्य बतौर राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) हैं जबकि अठावले सहित 23 राज्यमंत्री हैं. मंत्रिपरिषद के सदस्यों की कुल संख्या 53 हो गई है.


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने दूसरे कार्यकाल में जब अपनी मंत्रिपरिषद का गठन किया था उस वक्त उसमें भाजपा सहित विभिन्न सहयोगी दलों के 57 नेताओं को जगह दी गई थी. पासवान, बादल और सावंत सहित कुल 24 नेताओं को केबिनेट मंत्री बनाया गया था वहीं अठावले को राज्यमंत्री का दर्जा मिला था. एक साल से अधिक कार्यकाल हो जाने के बावजूद मोदी मंत्रिमंडल में अभी तक कोई विस्तार या फेरबदल नहीं हुआ है.


नियमों के मुताबिक केन्द्रीय मंत्रिपरिषद में प्रधानमंत्री सहित मंत्रियों की कुल संख्या लोकसभा की कुल सदस्य संख्या के 15 प्रतिशत से अधिक नहीं हो सकती. इस लिहाज से केंद्रीय मंत्रिपरिषद के सदस्यों की कुल संख्या 81 तक हो सकती है. प्रधानमंत्री मोदी चाहें तो अभी भी वह 27 नेताओं को अपनी मंत्रिपरिषद में शामिल कर सकते हैं.